किसान भाई सेहत के लिए फायदेमंद काली मूली की खेती से अच्छी आमदनी कर सकते हैं

काली मूली में एंटीऑक्सीडेंट प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, जो हमारे दिल को स्वस्थ और निरोगी रखने में सहायक होती है। इसके भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का भी कमाल का गुण विघमान होता है। शर्दियों के महीनों में किसान लाल मूली की बुवाई करना उपयुक्त रहता है। बतादें, कि दिसंबर से लगाकर फरवरी तक का महीना इसकी खेती के लिए काफी अनुकूल होता है। इसके लिए समुचित जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। बरसात के मौसम में मूली की फसल बुआई के तकरीबन 35 से 45 दिन के अंदर मंडियों में बेचने योग्य पककर तैयार हो जाते हैं। अनुमानुसार, मूली का औसतन उत्पादन 80 से 105 क्विंटल प्रति एकड़ और बीज 4.5 क्विंटल प्रति एकड़ होते हैं।

क्या काली मूली की खेती किसी विशेष ढ़ंग से की जाती है

काली
मूली की खेती भी एकदम सफेद मूली की भांति की जाती है। बतादें कि यह काली मूली बिल्कुल शलजम की तरह होती है। इसका बाहरी भाग बिल्कुल काला होता है। वहीं, आंतरिक रूप से यह भी आम मूली की भांति सफेद होती है। परंतु, स्वाद में बेहद असमानता होती है। खेती के संबंध में देखा जाए तो आमतौर पर इसकी खेती शर्दियों में अधिक होती है। परंतु, आजकल किसान इसे पूरे वर्षभर उत्पादित करते हैं। बाजार में यह सफेद मूली से कहीं अधिक महंगी बेची जाती है। भारत समेत संपूर्ण विश्व के अंदर इसकी मांग विगत कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। इसके पीछे की मुख्य वजह इसमें विघमान पोषक तत्व हैं। ये भी देखें: मूली की खेती (Radish cultivation in hindi)

आखिर काली मूली के क्या-क्या लाभ होते हैं

ब्लैक रैडिश यानी कि काली मूली लोगों के शरीर के लिए एक रामबाण है। काली मूली में एंटीऑक्सीडेंट की प्रचूर मात्रा उपलब्ध रहती है, जो कि हमारे दिल को स्वस्थ और सेहतमंद रखती है। बतादें, कि इसके भीतर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का भी कमाल का गुण होता है। इसके अंदर उपस्थित थियामिन,विटामिन-ई, प्रोटीन, विटामिन-बी 6 जैसे पोषक तत्व हमारे शरीर को अंदर से सशक्त बनाते हैं। कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है, कि काली मूली हमें कब्ज में भी सहूलियत और आराम प्रदान करती है। इसके अंदर मौजूद मैंगनीज, फोलेट, आइसोटीन और सोर्बिटोल कब्ज को आपसे दूर रखने में अहम सहायक भूमिका अदा करते हैं।